Friday, July 22, 2011

यादों के झरोखे से....वह हसीन पल !!!!

चिलचिलाती धूप में ....बस्सी मैडम का...... ground का चक्कर लगवाना याद आता है....
पसीने से तर-बतर ....झुंड में पानी के tap तक दौड़ लगाना याद आता है !!!

खो गए ज़िन्दगी के हसीं लम्हे कहीं...
यादों कि परतों को खंगाल....कुछ सुहाना सा तराना याद आता है !!!!

Morning assembly में "हम सब भारतवासी भाई-बहन हैं"....से....."हम सब भारतवासी भाई-भाई हैं" तक का सफ़र.....
या कहें...बचपन से लड़कपन तक का वह सुनहरा सफ़र याद आता है !!!!

वह देसराज के समोसे....समोसे कि चटनी...tea shop के cream role....
दोस्तों के tiffin box की चोरी...पहली बेंच पर बैठ नीलम मैडम की क्लास में tiffin खाना ....
वह interval में मम्मी के हाथ के ठन्डे पराठों का जायका याद आता है !!!!!

वह teacher को चवन्नी, अट्ठनी, बारह-आने बुलाना.....
गीता मैडम का हर क्लास में चिल्लाना ...
बेदी मैडम का history period में "current affairs" पढ़ाना....
10th class में भी 'क-ख-ग' सुना ना पाया था कोई ...संधू मैडम का इस पर नाराजगी जताना...
सीमा मैडम का class 12th में भी वरिंदर को इंग्लिश की 4-line notebook लगवाना...
वह class में cricket का खेल....और बृजबाला मैडम के हाथों (हथोड़ा) पूरी क्लास का थप्पढ़ खाना याद आता है !!!
अनीता मैडम के fancy goggles.....और Newton Sir (गुरदयाल सर) के गोल-गोल Galileo वाले चश्मे.....
वह झा सर का......"कौन संधि-कौन समास ?" याद आता है.....
हर teacher का चेहरा मानो उन धुंधली यादों को साफ़ करता नज़र आता है !!!!!!

दोस्तों के नाम कहें तो ....अन्डू-पुण्डी, सत्ते-फत्ते, Dipper-Dimple, टुर्ली-मुर्ली, गंजा-चिन्ना, मोटी-भिन्डी, चंपा-जस्सी, मोतियाबिंद.....बस ......यही तो याद आता है !!!!!
'मुल्लनपुर के batch ' के नाम पर teacher का 'अत्याचार'.....और 'Army School batch' के नमूनों का 'सदाचार'.....
क्लास में होली के रंग....तो toilet में पटाखे फोड़ दिवाली मनाना दोस्तों के संग....
वह टूटे switch-board....class में उल्टे-लटकते पंखे....उन टूटी खिडकियों से भाग जाना याद आता है !!!!!

वह हिमालय, नीलगिरी, विन्ध्याचल, अरावली....टैगोरे, लक्ष्मीबाई, सरोजिनी, नेहरु....वह House-prefect कि दादा(दीदी)-गिरी .....वह school competition.....PT-Parade....
'लौंगढ़ जल बरसे' कि ताल पर थिरके थे कदम कभी....Drum कि ताल पर 'Left-Right' कदम बढ़ाना याद आता है !!!

वह छुट्टी कि घंटी पर दौड़ते हज़ार पाँव....School बस ....या कहें 2-tonner, 4-tonner, 6-tonner....तो कभी शक्तिमान....
एक सीट के लिए दोस्तों से लड़ना......
गले में पानी कि बोतल, कंधे पर 4 किलो का बस्ता.....सुबह खिला....दोपहर मुरझाया सा वह मासूम चेहरा याद आता है !!!!!

हर साल....इंच दर इंच पैंट होती छोटी....football कि हर kick पर घिसते जूते....
Charlie BLossom कि खुशबू.....Volleyball का throw......'खो-खो' का 'खो'.....
कसम खाई थी.....नहीं पेहेनेंगे "Navy-Blue" पैंट कभी....
आज उसी आखिरी school-dress कि झलक पाने को दिल चाहता है !!!!!!!!!!!!!!